भीष्म की ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा
भीष्म ने अपने पिता की शादी की अनुमति देने के लिए ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ली थी, जिससे उन्हें भीष्म का उपाधि प्राप्त हुआ.
भीष्म की पांडु और उनके पुत्रों की पक्षपातिता
भीष्म ने अपने बड़े पुत्र धृतराष्ट्र के बजाय पांडु को राजसिंहासन पर बैठाने का निर्णय लिया.
धृतराष्ट्र का दुर्योधन से प्रेम
धृतराष्ट्र का अपने पुत्र दुर्योधन के प्रति अत्यधिक प्रेम था, जिसने उन्हें अन्याय करने के लिए प्रेरित किया.
द्रुपद का द्रोण के खिलाफ प्रतिशोध
द्रुपद का द्रोण के खिलाफ बदला लेने का मनोवृत्ति था.
युधिष्ठिर का गैर-संघर्षपूर्ण होने का वादा
युधिष्ठिर ने वादा किया था कि वे संघर्ष करने से बचेंगे.
दुर्योधन की निर्दयता
दुर्योधन की क्रूरता ने उन्हें अपने भाईयों के खिलाफ युद्ध करने के लिए प्रेरित किया.
अच्छाई की बुराई पर विजय की आवश्यकता
अच्छाई की बुराई पर विजय की आवश्यकता थी.
भगवान कृष्ण की योजना
भगवान कृष्ण ने इस युध्ध के माध्यम से पृथ्वी पर बढ़ते पापों का नाश करना चाहा.
धर्म की स्थापना
युद्ध का एक मुख्य कारण धर्म की स्थापना थी.
अधिकार के लिए संघर्ष
महाभारत के युद्ध का मुख्य कारण हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए पांडव और कौरवों के बीच संघर्ष था.